मुझको तो लगता है यारो,ये जीवन तो निरर्थक जाना है।
विरासत में संस्कार मिले,वो मुश्किल हो रहे निभाना है।
लगता ही नहीं यकींन है अब,बे-नाम कभी मर जाऊँगा।
विख्यात तो ना होने लायक,कुख्यात भी ना हो पाऊंगा।
कुख्यात तो भी हो जाते लुटेरे,जब लूट एक अपराध था।
हो जाते थे हत्यारे नामचीन,जब ह्त्या एक अपवाद था।
व्यभिचारी भी पहचाने जाते,जबतक चरित्र की कीमत थी।
बेईमानो को मिलता अपयश,जबतक ईमान की नीयत थी। धोखा,दगा,झूठ,चोरी,ये सब तो अति छोटे छोटे साधन है।
अब अधिकाँश की सम्रद्धि के, येसब ही तो संसाधन हैं।
इनसबके सहारे भी अबतो,कुख्यात भी नहीं हो पाऊंगा।
एकाग्रचित सब ये कर भी लू,तो भी इतना ही कर पाऊंगा।
गुमनाम तो रहना ही होगा,पर राजनीति से जुड़ जाऊँगा।
लगता है इस जीवन में तो,सपना अधूरा लेकर ही जाऊँगा।
विरासत में संस्कार मिले,वो मुश्किल हो रहे निभाना है।
लगता ही नहीं यकींन है अब,बे-नाम कभी मर जाऊँगा।
विख्यात तो ना होने लायक,कुख्यात भी ना हो पाऊंगा।
कुख्यात तो भी हो जाते लुटेरे,जब लूट एक अपराध था।
हो जाते थे हत्यारे नामचीन,जब ह्त्या एक अपवाद था।
व्यभिचारी भी पहचाने जाते,जबतक चरित्र की कीमत थी।
बेईमानो को मिलता अपयश,जबतक ईमान की नीयत थी। धोखा,दगा,झूठ,चोरी,ये सब तो अति छोटे छोटे साधन है।
अब अधिकाँश की सम्रद्धि के, येसब ही तो संसाधन हैं।
इनसबके सहारे भी अबतो,कुख्यात भी नहीं हो पाऊंगा।
एकाग्रचित सब ये कर भी लू,तो भी इतना ही कर पाऊंगा।
गुमनाम तो रहना ही होगा,पर राजनीति से जुड़ जाऊँगा।
लगता है इस जीवन में तो,सपना अधूरा लेकर ही जाऊँगा।
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